डॉ. इंदुभूषण
भिंगारे ने संत तुकाराम की राष्ट्रगाथा का एक विभाग तो प्रगट किया था ।
मजकुर विभाग दुसरी आवृत्ति है। मेरा मराठी भाषा का ज्ञान बहुत अल्प है ।
तुकाराम मुझे बहुत प्रिय है। लेकीन उनके अंभंगोंमेंसे थोडे ही बिना परिश्रम
सें पढ सकता हुं। इसलिये मैंने डॉ. भिंगारे की पसंदगी भाई कुंदरजी दिवाण को
दी और उन्होनें बडे परिश्रमसे सारा चुनाव देख लिया । |